केंद्र सरकार ने इस सप्ताह ड्रेस अलाउंस से संबंधित महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है। आदेश के अनुसार जुलाई 2025 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी और नए भर्ती दोनों अनुपातिक (pro-rata) ड्रेस अलाउंस के लाभार्थी होंगे। साथ ही अक्टूबर 2025 से रिटायर होने वाले कर्मियों से किसी भी अतिरिक्त भुगतान की वसूली की जाएगी।
नया नियम — संक्षेप में
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब ड्रेस अलाउंस पूरी सेवा अवधि पर निर्भर कर के दिया जाएगा। यदि किसी कर्मचारी ने पूरे वित्तीय वर्ष तक सेवा नहीं की, तो उन्हें उसी अवधि के अनुसार अनुपातिक राशि दी जाएगी। इसके अलावा, अक्टूबर 2025 और उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के मामले में अतिरिक्त भुगतान की राशि वसूली जाएगी।ड्रेस अलाउंस क्या है?
ड्रेस अलाउंस वह वार्षिक भत्ता है जिसे कर्मचारियों को उनकी वर्दी, कपड़े, जूते और रखरखाव के खर्च के लिए दिया जाता है। पहले यह कई छोटे-छोटे भत्तों के रूप में दिया जाता था, पर अब इन्हें एकीकृत करके ड्रेस अलाउंस के रूप में दिया जाता है।| पूर्व भत्ते | अब ड्रेस अलाउंस में शामिल |
|---|---|
| वर्दी भत्ता (Uniform Allowance) | हाँ |
| वस्त्र भत्ता (Clothing Allowance) | हाँ |
| जूता भत्ता (Shoe Allowance) | हाँ |
| रखरखाव भत्ता (Maintenance Allowance) | हाँ |
कब और कैसे दिया जाता है?
ड्रेस अलाउंस आमतौर पर प्रत्येक वर्ष जुलाई में कर्मचारियों के बैंक खाते में जमा किया जाता है। साथ ही, महंगाई भत्ता (DA) में 50% की वृद्धि होने पर ड्रेस अलाउंस की राशि नवीनीकृत की जाती है।लागू तिथि
जुलाई 2025 से
लागू दायरा
सभी केंद्रीय कर्मचारी
अतिरिक्त भुगतान
अक्टूबर 2025 से रिटायर होने पर वसूली
उदाहरण
मान लीजिए किसी कर्मचारी का वार्षिक ड्रेस अलाउंस ₹12,000 है। यदि वह केवल छह महीने (जुलाई–दिसंबर) तक सेवा करता है, तो उसे ₹6,000 (₹12,000 × 6/12) ही मिलेगा। यदि नियमों के कारण किसी को अधिक भुगतान किया गया होता है और वह अक्टूबर 2025 के बाद रिटायर हुआ है, तो वह अतिरिक्त राशि वसूली जाएगी।कर्मचारियों पर संभावित प्रभाव
यह निर्णय उन कर्मचारियों को प्रभावित करेगा जो वित्तीय वर्ष के बीच में रिटायर, नियुक्त या ट्रांसफर होते हैं। नये कर्मचारी भी अपनी ज्वाइनिंग तारीख के आधार पर अनुपातिक भुगतान के पात्र होंगे। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और सरकारी व्यय पर नियंत्रण आएगा।निष्कर्ष
सरकार का यह कदम वित्तीय अनुशासन व न्यायसंगत वितरण की दिशा में लिया गया सकारात्मक कदम माना जा सकता है। अब हर कर्मचारी को केवल उसके द्वारा की गई सेवा अवधि के अनुरूप ही ड्रेस अलाउंस मिलेगा, जिससे दुरुपयोग की संभावनाएँ कम होंगी।कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) और वित्त मंत्रालय निर्देशों के अनुसार।